जहाँ एक ओर सांख्यिकी, तथ्यों के विश्लेषण का एक महत्वपूर्ण साधन है, वहीं जानकारी के अभाव में इसका दुरुपयोग भी हो सकता है, जो इसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
इसीलिए डिजरायली ने कहा है – “झूठ के तीन प्रकार हैं – झूठ, सफेद झूठ तथा सांख्यिकी।”
“There are three kinds of lies: lies, damned lies and statistics.” – Benjamin Disraeli.
निम्नलिखित कारणों से सांख्यिकी का दुरुपयोग हो सकता है और इसकी विश्वसनीयता कम होती है:-
(1) एक ही समस्या के संबंध में अनेक प्रकार के आँकड़े प्राप्त होते हैं, जिससे उलझन पैदा होती है.
(2) वांछित निष्कर्ष प्राप्त करने के लिए आँकड़ों को बदला जा सकता है.
(3) समान आँकड़ों को कई तरीकों से प्रस्तुत किया जा सकता है, जिससे पढ़ने वाले को संशय हो जाता है.
(4) आँकड़ों के संकलनकर्ता यदि पक्षपाती हैं तो उनके द्वारा एकत्रित किये गए आँकड़ों से गलत परिणाम प्राप्त होते हैं.
इन सब कारणों से सांख्यिकीय आँकड़ों के विश्लेषण से गलत परिणाम प्राप्त होते हैं, जिससे सांख्यिकी की विश्वसनीयता कम होती है. इससे बचने के लिए हमें सदैव उचित सांख्यिकीय विधियों का पक्षपातरहित तरीके से प्रयोग करना चाहिए।