आर्थिक समस्या के उत्पन्न होने के निम्नलिखित तीन कारण हैं:
असीमित आवश्यकताएँ: पृथ्वी पर मनुष्य की आवश्यकताएँ असीमित होती हैं। कोई भी मनुष्य अपनी सारी आवश्यकताओं को पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं कर सकता। किसी समाज के लिए सभी सदस्यों की आवश्यकताओं को किसी निश्चित समय में पूर्ण रूप से संतुष्ट करना संभव नहीं है।
सीमित या दुर्लभ साधन: इन आवश्यकताओं को संतुष्ट करने वाली अधिकतर वस्तुएँ और सेवाएँ सीमित या दुर्लभ होती हैं। इन पदार्थों को दुर्लभ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनकी मांग इनकी पूर्ति से अधिक होती है।
वैकल्पिक उपयोग: प्रत्येक साधन तथा वस्तुओं के वैकल्पिक उपयोग होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति तथा समाज को यह चुनाव करना पड़ता है कि वह अपने सीमित साधनों का उपयोग कौन सी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए करे। जैसे, दूध एक सीमित वस्तु है। इसे विभिन्न कार्यों जैसे पीना, मक्खन बनाना, मिठाई बनाना, पनीर बनाना, आइसक्रीम बनाना आदि में प्रयोग किया जा सकता है।
इस प्रकार हम यह देखते हैं कि मनुष्य की आवश्यकताएँ असीमित हैं तथा उनको पूरा करने वाले साधन सीमित हैं। इन सीमित साधनों के उपयोग भी वैकल्पिक हैं। इसलिए मनुष्य को सदैव यह चुनाव करना पड़ता है कि वह सीमित साधनों का किस प्रकार प्रयोग करें, ताकि उसकी अधिकतम आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके।
इसी चुनाव की समस्या से आर्थिक समस्या उत्पन्न होती है।