Features of Statistics in a Plural Sense / बहुवचन के रूप में सांख्यिकी की विशेषताएँ

Class 11th Economics Chapter 1 – Features of Statistics in a Plural Sense बहुवचन के रूप में सांख्यिकी की विशेषताएँ

(1) संख्याओं में व्यक्त जानकारी: केवल उसी जानकारी को सांख्यिकी कहा जाता है, जो संख्याओं में व्यक्त की जाती है। उदाहरण के लिए, यदि हम यह कहें कि राम, श्याम की तुलना में एक अमीर व्यक्ति है, तो यह जानकारी सांख्यिकी नहीं कहलाएगी। बल्कि, यदि हम यह कहें कि राम की मासिक आय, ₹2,00,000 है तथा शाम की मासिक आय ₹50,000 है, तो यह जानकारी सांख्यिकी कहलाएगी।

(2) तथ्यों का समूह सांख्यिकी कहलाता है: केवल एक इकाई से संबंधित जानकारी, बेशक वह संख्या में व्यक्त की गई हो, सांख्यिकी नहीं कहलाती। अनेक इकाइयों से संबंधित कोई जानकारी जब संख्याओं में व्यक्त की जाती है तब उसे सांख्यिकी कहा जाता है। उदाहरण के लिए जब हम कहते हैं कि हमारे स्कूल में 5000 छात्र हैं तो यह जानकारी सांख्यिकी नहीं कहलाती, परंतु यदि हम कहें कि हमारे स्कूल में 5000 छात्र हैं जिनमें से 1000 छात्र साइंस स्ट्रीम में, 2000 छात्र कॉमर्स स्ट्रीम में तथा 2000 छात्र आर्ट्स स्ट्रीम में हैं तब यह जानकारी सांख्यिकी कहलाती है।

(3) एक दूसरे से संबंधित आँकड़े ही सांख्यिकी कहलाते हैं: संख्याओं में व्यक्त विभिन्न जानकारियाँ यदि एक दूसरे से संबंधित हैं, तो ही वे सांख्यिकी कहलाती हैं, अन्यथा नहीं। उदाहरण के लिए यदि हम कहें कि राम की आयु 18 वर्ष है तथा शाम की हाइट 6 फुट है तथा सीता का वजन 45 किलो है, तो यह आँकड़े सांख्यिकी नहीं कहलाएँगे। लेकिन यदि हम कहें कि राम की आयु 18 वर्ष है, शाम की आयु 16 वर्ष है तथा सीता की आयु 17 वर्ष है, तब यह जानकारी सांख्यिकी कहलाएगी।

(4) आँकड़े अनेक कारणों से प्रभावित होते हैं: कोई भी जानकारी जो संख्याओं में व्यक्त की गई है, तथा जो एक दूसरे से संबंधित है, वह अनेक कारणों से प्रभावित होती है, तभी वह सांख्यिकी कहलाती है। जैसे यदि हम कहें कि भारत में पिछले 3 वर्षों में बेरोजगारी की दर में 2% प्रतिवर्ष की वृद्धि हुई है, तो यह वृद्धि अनेक कारणों से प्रभावित होती है, जैसे महामारी का फैलना, असंगठित क्षेत्र की नौकरियाँ, अकुशल प्रशासन तथा प्रवासी श्रमिक आदि।

(5) सांख्यिकी का एक पूर्व निश्चित उद्देश्य होता है: किसी भी प्रकार की जानकारी को जब हम आँकड़ों के रूप में एकत्रित करते हैं तो एकत्रित करने से पहले उसका एक पूर्व निर्धारित और पूर्व निश्चित उद्देश्य होना अनिवार्य है। बिना उद्देश्य के एकत्रित किए गए आँकड़ों को सांख्यिकी नहीं कहा जाता। उदाहरण के लिए यदि किसी क्षेत्र के लोगों की शैक्षिक स्थिति से संबंधित आँकड़े एकत्रित किए जाते हैं, तो उसका उद्देश्य होगा – लोगों के बीच साक्षरता की दर का पता लगाना।

(6) आँकड़ों को गणना या अनुमान द्वारा एकत्रित किया जाता है: आँकड़ों को एकत्रित करने के लिए गणना करना या अनुमान लगाना यह दो विधियाँ प्रयुक्त की जाती हैं। जहाँ पर हर इकाई इतनी महत्वपूर्ण होती है कि उसे गणना से बाहर नहीं रखा जा सकता, तो सभी इकाइयों की गणना करनी आवश्यक होती है, तथा जहाँ पर अनुमान से काम चल जाता है वहाँ पर अनुमान लगाने की विधि का प्रयोग किया जाता है। जैसे किसी देश की जनसंख्या की गणना में किसी भी इकाई को छोड़ा नहीं जा सकता। उसके विपरीत यदि किसी राजनेता की रैली में आए हुए लोगों की संख्या के आँकड़े एकत्रित करने है तो वहाँ पर अनुमान लगाने की विधि का प्रयोग किया जा सकता है।

(7) आँकड़े एकत्रित करने की समुचित व्यवस्था होना आवश्यक है: जब किसी भी विषय से संबंधित आँकड़े एकत्रित किए जाते हैं तो उससे पहले उस विषय से संबंधित प्रश्नावलियाँ तथा अनुसूचियाँ और उनका प्रारूप (Format) तैयार कर लिया जाता है और उन्हीं का प्रयोग करके एक व्यवस्थित ढंग से ही आँकड़े इकट्ठे किए जाते हैं।

(8) शुद्धता का उचित स्तर आवश्यक है: जब आँकड़े एकत्रित किए जाते हैं तो शुद्धता का एक उचित स्तर बनाए रखना होता है। अशुद्ध आँकड़े किसी काम के नहीं होते तथा उनका प्रयोग करके निकाले गए निष्कर्ष भी अशुद्ध और भ्रामक होते हैं।