उत्पादन संभावना वक्र
उत्पादन संभावना वक्र दो वस्तुओं के उत्पादन की वैकल्पिक संभावनाओं को दर्शाने वाले वक्र को उत्पादन संभावना वक्र कहते हैं। दिए गए साधनों और तकनीक से दो वस्तुओं के जिन सभी संयोगों का उत्पादन किया जा सकता है, उन संयोगों के बिंदुओं का मिलान करने से हमें उत्पादन संभावना वक्र प्राप्त होता है।
मान्यताएँ:
1. केवल दो वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है।
2. उत्पादन के साधन स्थिर रहते हैं।
3. उत्पादन की तकनीक स्थिर रहती है।
4. दिए हुए साधनों का पूर्ण और कुशलता में उपयोग किया जाता है।
उत्पादन सम्भावना वक्र की व्याख्या निम्नलिखित तालिका और रेखाचित्र की सहायता से की जा सकती है:
वस्तुएँ / उत्पादन सम्भावनाएँ | A | B | C | D |
गेहूँ (Wheat) | 0 | 3 | 6 | 9 |
चावल (Rice) | 18 | 15 | 9 | 0 |
तालिका में स्पष्ट है कि उत्पादन के साधन और उत्पादन की तकनीक स्थिर है और दो ही वस्तुओं का उत्पादन किया जा रहा है। यदि हम उत्पादन के सभी साधन गेहूँ का उत्पादन करने में लगा दें तो हमें 9 इकाई गेहूँ का उत्पादन प्राप्त होगा और चावल का उत्पादन 0 इकाई होगा जो संयोग D द्वारा प्रदर्शित हो रहा है। उसी प्रकार यदि हम उत्पादन के सारे साधन चावल के उत्पादन में लगा दे तो हमें चावल की 18 इकाई उत्पादन प्राप्त होगा और गेहूँ का 0 इकाई उत्पादन प्राप्त होगा, जोकि संयोग A में दिखाया गया है। इसी प्रकार हम अन्य संयोगों का चुनाव करके गेहूँ और चावल दोनों का उत्पादन भी कर सकते हैं।
प्रस्तुत रेखाचित्र में स्पष्ट है कि जब हम संयोग A पर हैं, तो चावल की 18 इकाइयों का उत्पादन हो रहा है और गेहूँ की 0 इकाइयों का उत्पादन हो रहा है। उसी प्रकार जब हम संयोग D पर हैं तो गेहूँ की 6 इकाइयों का उत्पादन हो रहा है और चावल की 0 इकाइयों का उत्पादन हो रहा है। वक्र ABCD उत्पादन संभावना वक्र है जो गेहूँ और चावल के उत्पादन के विभिन्न संयोगों को प्रदर्शित कर रहा है।