सांख्यिकी के अध्ययन की निम्नलिखित पाँच अवस्थाएँ हैं:
अवस्था एक – आँकड़ों का संकलन (Collection of Data)
अवस्था दो – आँकड़ों का व्यवस्थितीकरण (Organization of Data)
अवस्था तीन – आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण (Presentation of Data)
अवस्था चार – आँकड़ों का विश्लेषण (Analysis of Data)
अवस्था पाँच – आँकड़ों का निर्वचन (Interpretation of Data)
अवस्था | सांख्यिकीय अध्ययन | सांख्यिकीय उपकरण |
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अवस्था 1 | आँकड़ों का संकलन | जनगणना और प्रतिदर्श विधियाँ |
अवस्था 2 | आँकड़ों का व्यवस्थितीकरण | आँकड़ों का विन्यास, शृंखलाएँ, मिलान रेखाएँ |
अवस्था 3 | आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण | तालिका, ग्राफ, आरेख |
अवस्था 4 | आँकड़ों का विश्लेषण | औसत, प्रतिशत, सह-संबंध, प्रतीपगमन |
अवस्था 5 | आँकड़ों का निर्वचन | औसतों, प्रतिशतों का विस्तार |
आँकड़ों का संकलन: आँकड़ों के संकलन से अभिप्राय विभिन्न विधियों का प्रयोग करके आँकड़ों को एकत्रित करने से है। यह संख्यिकीय अध्ययन की प्रथम अवस्था है। किसी भी विश्लेषण को करने से पहले हमें उससे संबंधित आँकड़ों को एकत्रित करना होता है।
आँकड़ों का व्यवस्थितीकरण: यह सांख्यिकीय अध्ययन की दूसरी अवस्था है, जिसके अंदर हम एकत्रित किए गए आँकड़ों को अलग-अलग वर्गों में विभाजित करके उनको एक व्यवस्थित रुप प्रदान करते हैं।
आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण: यह सांख्यिकीय अध्ययन की तीसरी अवस्था है, जिसमें आँकड़ों को ग्राफ, चित्र या तालिका के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
आँकड़ों का विश्लेषण: यह सांख्यिकीय अध्ययन की चौथी अवस्था है, जिसमें औसत, प्रतिशत, माध्य, माध्यिका, बहुलक आदि का प्रयोग करके आँकड़ों का विश्लेषण किया जाता है।
आँकड़ों का निर्वचन: यह सांख्यिकीय अध्ययन की पाँचवीं अवस्था है, जिसके अंतर्गत आँकड़ों के विश्लेषण के पश्चात उनसे प्राप्त निष्कर्ष ज्ञात करने के लिए आँकड़ों का निर्वचन किया जाता है।